क्या गरीबी वंशानुक्रम से आती रहेगी
क्या विडम्बना है जो हाथ लोगो को कमाकर देते हैं ।वही दूसरो की तरफ हाथ फैलाते है।
जो व्यक्ति श्रमकर पोषण की व्यवस्था करता है
उसके बच्चों को भूखो सोना पडता है कुपोषण बीमारी के कारण अकाल कालकवलित हो जाते है। जो अमीर है और अमीर होता जा रहा है जो गरीब है गरीबी कुपोषण बीमारी वंशानुक्रम की तरह पीढी दर पीढ़ी चिपका रहता।
छोटी छोटी बातों के लिए दूसरो पर आश्रित होना पडता है ।
संवेदना तो जैसे लोगों के मन से विदा हो चुका हम अपने स्वार्थवश दूसरों की मदद नही करते ।कारण अर्थतंत्र मे पिछडने का भय भौतिक सुख साधनों की प्राप्ति की लोलुपता है।क्या हमारे लक्ष्य इतने दूसरो को नुकसान पहुंचाने वाले हैं ।हमे इससे बचना चाहिए
दूसरों की मदद करने मे तोष की अनुभूति होती है ।
कभी उस दिन की याद जरूर करनी चाहिए जब लोग दूसरो के उत्थान को एक पुण्य कार्य समझते थे । असहाय की मदद करने के बाद किसी से बताते तक नही “नेकी कर दरिया में डाल ” का अनुसरण करते हुए परोपकाराय पुण्याय की भावना रखते हुए एकबार जरूर असहायो की मदद करें । हम सबकी संवेदना किसी बच्चे को नव जीवन दे सकती है ।पहल करे । हम स्वयं का उत्थान करे सही है पर जहां तक संभव हो दूसरो को भी मुख्य धारा में शामिल करने के लिए सहयोग दिया जाय यह भी कोई पुण्य से बढ़कर होगा ।
पहले मदद करें ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र