क्या कुसूर भी हमारा है।
छाया जो मुझपे वो शुरुर बस तुम्हारा है,
पहचानतीं नहीं नज़रें तुम्हारी क्या कुसूर भी हमारा है।
पल भर को पास ठहरते नहीं यह गुरुर भी गवारा है,
तेरी हीं ख्वाहिशों में हमने खुद को संवारा है।
मिल जाओ तुम जो जिंदगी जन्नत हमारा है,
तेरी मासूम सी हंसी हमें जान से भी प्यारा है।
नज़र ना लगे तुम्हें नज़र तुम्हारी यूं उतारा है,
तेरे सदके जाये ये दिल भी तुमपे वारा है।
तू हीं मेरा सबकुछ तू हीं पहचान हमारा है,
मैं हूं साहिल तू मेरी कश्ती का किनारा है।