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28 Aug 2019 · 1 min read

क्या कीजियेगा?

क्या कीजियेगा?

हैं दिलों में समाए तो क्या कीजियेगा?
जो राहतों की गुजारिश करेगा,
तबस्सुम ये तेरी दिलों को खिला दे
इज्न-ए-तबस्सुम से गुलों का हो खिलना
कोई रूठ जाए तो क्या कीजियेगा?
हैं दिलों में समाए तो क्या कीजियेगा?

हकदार तुझको बना दे ख़ुदाया मेरा
हर्फ-ए-इश्क जहाँ में हक़ीक़ी होगा
हक़ीकत में मुश्किल है मर्द-ए-हक़ होना
परेशान हुए भी तो क्या कीजियेगा?
हैं दिलों में समाए तो क्या कीजियेगा?

तेरी शोख़-निगाहें नहीं कोई और है क़ातिल
बद-निगाहों से भी तो बचना होगा,
निग़ाह-ओ-दर से दिल के आशियाने में होना
तेरी जिंदगी में बस ही गए तो क्या कीजियेगा।
हैं दिलों में समाए तो क्या कीजियेगा।

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