क्या कहूँ ?
क्या कहूँ ?
दिल …उदास !
मन ….बेचैन !
लब … खामोश !
आंखे …नम !
क्या कहूँ…कि ,
जाने ये कैसी माया है ?
जहां हर कुछ मैंने गवाया है !!
क्या कहूँ…कि ,
जाने ये कैसी परीक्षा है ?
जिसमें परिणाम विपरीत आया है !!
क्या कहूँ…कि ,
जाने ये कैसा वक्त है ?
जिसने हार ही बस दिखाया है !!
क्या कभी उभर पाऊंगी मैं ?
क्या कभी पुनः जीत पाऊंगी मैं ?
अंतर्मन में इन्हीं बातों का युद्ध छिड़ा हुआ है..!
क्या कहूं ,
आज बस इन्हीं दुविधाओं ने मुझे घेरा हुआ है ….!!