क्या कहूँ अब तुमसे………. तेरी हो गयी |गीत| “मनोज कुमार”
क्या कहूँ अब तुमसे तो ये रूह दीवानी हो गयी
मीरा सी दीवानी ये दीवानी तेरी हो गयी
क्या कहूँ अब तुमसे…………………………………… तेरी हो गयी
कल तक थे गरीब बहुत तुझे पाके अमीर हो गये
अब तक थे बंधे हुये अब एक नजर में बिखर गये
जब तुझसे मिलना चाहा तेरी और सुरक्षा हो गयी
कायनात में कोई ना ऐसी दीवानी हो गयी
क्या कहूँ अब तुमसे…………………………………… तेरी हो गयी
हो गयी हसरत जवाँ नैनो को जब दीदार हुआ
दूर हुई सारी दूरी नजरों से जब इकरार हुआ
उड़ गयी है नींद जबसे तुमसे महोब्बत हो गयी
आती हैं सिसकियाँ बहुत यादों की पोथी खुल गयी
क्या कहूँ अब तुमसे…………………………………… तेरी हो गयी
जिसे देख मन हर्षाता दिल गीत ग़ज़ल ये गाता है
तेरे लिये मैं जाऊँ पनघट फिर भी तू नही आता है
तू बन जा घनश्याम मेरा मैं गोपी जैसी हो गयी
उलझ गयी हूँ प्यार में तेरे तड़प मीन सी हो गयी
क्या कहूँ अब तुमसे…………………………………… तेरी हो गयी
आ जाओ दवा दे जाओ दिल की बीमारी हो गयी
नाजुक है ये प्यार के रिश्ते कांच के जैसी हो गयी
तुम प्रिय पतंग मैं बनके डोर तेरे संग हो गयी
तू फूलों की डाली मैं मधुमक्खी जैसी हो गयी
क्या कहूँ अब तुमसे…………………………………… तेरी हो गयी
“मनोज कुमार”