क्या कहा?
क्या कहा?
महसूस होता है तुम्हें!
मतलब जिंदा हो तुम।
मग़र रोते नहीं हो खुलकर, क्या बात है?
किसी ने लगता है नहीं देखीं,
आँखों की गहरी मुस्कुराहट तुम्हारी…!
हँसना, रोना सब बाद की बात है।
यह चुनी हुई बैचैनी बताती है, किये पर शर्मिंदा हो तुम!
क्या कहा? महसूस होता है!
मतलब जिंदा हो तुम।
— ‘कीर्ति’