क्या करें
हम तुम्हें देखते मेरी जान मगर क्या करें
पलकों ने मेरे अना के जेबर पहन लिए
देखने को तुम्हें सौ तरीके संभाल रखे थे हमने
दिल ने मगर मुहब्बत के नाम पे बजू कर लिए
हम मुहब्बत में तकरीरों के कभी कायल तो न थे
तुमने मगर गुफ्तगू के भी सारे रास्ते बदल दिए
बड़ी बेचैनी सी सांसों में रहती है आज कल
हमने सांसों को भी कह दिया बेदम रहिए
~ सिद्धार्थ