क्या करूँ मैं ?
दूसरों ने कहा खूबसूरत हूँ
अपनों ने कहा बदसूरत हूँ
किसकी सूनु मैं ?
दूसरों ने आत्मसम्मान बढ़ाया
अपनों ने आत्मविश्वास गिराया
क्या करूँ मैं ?
दुसरे सराहते रहे
अपने दुतकारते रहे
कैसे सहूँ मैं ?
दुसरे उठाते रहे
अपने गिराते रहे
कहाँ रहूँ मैं ?
दुसरे गले लगाते
अपने खंजर घुसाते
कैसे जीऊँ मैं ?
एक तरफ प्यार का अमृत
दुसरी तरफ नफरत का विष
किसको पीऊँ मैं ?
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10 – 05 – 2018 )