कौशल्या नंदन
अवध पुरी में जन्मे हो
कौशल्या के नंदन हो
दशरथ के तुम प्राण दुलारे
जन जन की हो आंख के तारे
श्यामल कोमल सुंदर सुंदर
अति मनमोहक अति हो सुन्दर
हे नाथों के नाथ हमारे
हर दुखिआ के दुःख हरने वाले
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
वचन बध्य हो वनवास को जाते
पिता की आज्ञा पालन करते
कठोर जीवन तुम हो जीते
क्या लिखूं मैं महिमा स्वामी
एक छोटी सी हूं मैं नारी
आपकी शरण मिले भगवन
और नहीं कुछ मांगू भगवन
_ सोनम पुनीत दुबे