कौन?
चाहत है क्या किससे पूछें,
यह बात हमें बताएगा कौन?
हर चाहने वाला गाफिल है,
महफिल में बैठा साधे मौन।
-१-
कब तक चेहरा के भाव गढ़ें,
नैनों की भाषा नैन पढ़ें।
ये कर्ण भी व्याकुल सुनने को,
दो बोल प्रेम के बोले कौन?
हर चाहने वाला गाफिल है,
महफिल में बैठा साधे मौन॥१॥
-२-
ये अधर भी प्यासे फड़क रहे,
जज्बात है दिल में भड़क रहे।
दीदार को नैन बड़े बेचैन,
जुल्फों की छाया देगा कौन?
हर चाहने वाला गाफिल है,
महफिल में बैठा साधे मौन॥२॥
-३-
तकदीर जो गर तस्वीर बने,
दिल में रख लूं तदवीर बने।
‘अंकुर’ नजदीक रहे हर दम,
हम-दम हमराह बनेगा कौन?
हर चाहने वाला गाफिल है,
महफिल में बैठा साधे मौन॥३॥
-✍️ निरंजन कुमार तिलक ‘अंकुर’
छतरपुर मध्यप्रदेश 9752606136