कौन ?
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको ,
ये क्या हुआ ? ये कौन छू गया है मुझको?
किस तरफ हम चले थे राहे जुस्तजू याद नहीं,
हमक़दम ,हमसफ़र, हमराह याद नहीं,
इन तन्हा वीरानियों में ये सदा क्यूँ बार-बार आती है ?
जो पुर – सुकूँ सन्नाटों से उभर कर मुझे बेचैन करती है ,
सब कुछ भूल कर गुमशुदा हो जाना चाहता हूं,
सराब -ए- आप में खो जाना चाहता हूं ।