कौन हो तुम?
जो जिंदगी भर रहेगी, वो कमी हो तुम
मेरे लिए मुझसे ज्यादा, लाज़मी हो तुम
यूँ तो कटते हैं दिन रात तेरे बगैर,
मगर अधूरे ख़्वाबों में आज भी हो तुम
आज साथ नहीं तो गम नहीं
कभी मिले थे, कम नहीं
मेरी पहचान तुम्हारा नाम
मेरी दुनिया, मेरी खुशियाँ, मेरी सरज़मी हो तुम
जो जिंदगी भर रहेगी, वो कमी हो तुम
मुझे याद है तेरा बाहों में आना
गले लगाना और सिसक सिसक कर जाना
ना आना लौटकर अब तक
करुँ इंतज़ार मैं कब तक?
मुकम्मल हुई ना, ये जिंदगी तुम बिन
होठों की मुस्कुराहट और
आँखों की नमी हो तुम
जो जिंदगी भर रहेगी वो कमी हो तुम
बस यही हो तुम ✍️