कौन होता
शौर्य, साहस, बल, पराक्रम ठीक हैं मगर,
कहो अरस्तु कौन बनता हर शख्स अगर सिकंदर होता
नाप-तोल कर, गिनकर ,चुनकर ये मूल्य उठा लिए ,
बेरंग ही हम रहते अगर सृजन सारा इन पर होता
इतिहास के जूठे आदर्श भी ठीक है मगर,
दुनिया आगे कैसे बढ़ती गर विचारों में ना अंतर होता