* कौन है *
** गीतिका **
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स्वच्छ है माहौल सबको भा रहा।
कौन है कचरा यहां बिखरा रहा।
जब निकलता जा रहा आगे समय।
कौन है पीछे हमारे आ रहा।
दीप क्यों हैं बुझ गये सारे अभी।
कौन अँधियारा यहां फैला रहा।
रौशनी से है जिसे नफरत हुई।
वह स्वयं से ही सदा उलझा रहा।
काम थे उसने सभी अच्छे किए।
फिर सजा किस बात की पाता रहा।
खुद ठिकाने पर नहीं पंहुचा कभी।
दूसरों को राह दिखलाता रहा।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)