कौन है ?
कौन है जो भर रहा यह ज़हर लोगों के स़ीने में ।
कौन है जो डाल रहा यह ख़लल लोगों के जीने में ।
कौन है ये जो दोस्त को दोस्त से को ज़ुदा कर रहा है ।
कौन है यह जो दिलों मे श़क ओ श़ुब़ा पैदा कर रहा है ।
जान लो उन्हें पहचान लो उन हमदर्दी के मुखौटों पीछे छिपी उनकी नीय़त।
जान लो उनके नाप़ाक इऱादे और उनकी स़ीरत ।
व़क्त रहते जान लिया तो अपना जमीर ओ ईम़ान बचा पाओगे ।
वरना अपना सब कुछ गँवा कर क़ुफ्र के दलदल में धँस कर रह जाओगे ।