कौन है ये राष्ट्रवादी
दुनिया को बदलने वाले प्रचारकों,
विज्ञापनों से बाहर आओ.
और देखों, कमाकर पेट
भरना,
कितने मुश्किल हो गया हैं.
कब तलक करें, तिलक और चोटी पर, गर्व.
आपसी तालमेल को तुमने.
छोडा कहाँ है.
पडोसी मुल्क नहीं तुम्हें प्रिय,
नफरत तुम्हें बहुजन समाज से है
पैदाइश सबकी अनाज से है.
किसान भी तुम्हारे प्रतिद्वंद्वी हैं.