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18 Feb 2024 · 2 min read

*कौन है ये अबोध बालक*

डॉ अरुण कुमार शास्त्री

कौन ये अबोध बालक

बहती नदी सा व्यक्तित्व है इस अबोध का ।।
चाहो तो आप भी प्रेम से इक गोता, लगाइये ।।

औपचारिकता प्रसंग ना, कोई संवाद चाहिये ।।
उसको तो प्रेम का भावुक, मीठा स्पर्श चाहिए ।।

मानव प्रकल्प का जिसमें हो सौंधा स्पर्श घुला घुला ।।
बहती नदी सा व्यक्तित्व है इस अबोध का ।।

आदत से आदमी हूँ , अनुभव से आत्मा
चाहो तो तुम भी प्रेम से इक गोता, लो लगा ।।

एषणाएं प्रेषणाएँ कर्तव्य की हों घोषणाएं
सार्थक सन्दर्भ की चहुदिस गूंजती हों ऋचाएं ।।

ऐसा ही आप सब में व्यवहार का आचार चाहिए
भीग जाएँ विश्व जिसमें , वो सन्मार्ग चाहिए ।।

रहेगा याद तुमको, ये सानिध्य, मेरे ख्याल से
सुंदर सफ़ीना उस आंकलन का आधार चाहिए ।।

स्वतंत्रता को जो सभी की सम्मान दे सके
निज स्वार्थ से परे वो सबको आधार दे सके।।

ऐसे सपन को इसके अब जीवंत होना चाहिए
सुंदर सफ़ीना उस आंकलन का आधार चाहिए ।।

ऐसा ही आप सब में व्यवहार आचार चाहिए
भीग जाएँ विश्व जिसमें , वो सन्मार्ग चाहिए ।।

तृण मात्र भी भौतिकता का ना अवसाद चाहिए
मौलिक हों जिसके भाव वो इंसान चाहिए ।।

बहती नदी सा व्यक्तित्व है इस अबोध का ।।
चाहो तो आप भी प्रेम से इक गोता, लगाइये ।।

न तेरा न मेरा न किसी और का इतिहास चाहिए।
मुझको तो माँ भारती की सुंदर मुस्कुराती सुहाती तस्वीर चाहिए ।

जिस देश में नारी सशक्तिकरण का आधार हो स्थापित।
ऐसे ही उत्तम सृजन सम्मान से विभूषित ब्रह्मऋषित्व का शुभ योग चाहिए

भीग जाएँ विश्व जिसमें , ऐसा सुवासित सन्मार्ग चाहिए

बहती नदी सा व्यक्तित्व है इस अबोध का ।।
चाहो तो आप भी प्रेम से इक गोता, लगाइये ।।

Language: Hindi
159 Views
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