कौन है मेरी ग़ज़ल जो रात भर गाता रहा
कौन है मेरी ग़ज़ल जो रात भर गाता रहा
सुब्ह तक जगता रहा, आता रहा, जाता रहा
क्या कहूँ मैं हाल उसकी बेख़ुदी का आप से
आँख में आँसू भरे थे, फिर भी मुस्काता रहा
फिर कहीं ये ‘वो’ न हो और हाल दिल का “वो” न हो
मैं बड़ा सहमा रहा और ख़ुद को समझाता रहा
जाने क्यों दिल मे कशिश उसके लिए बढ़ती गई
यूँ लगा जैसे कि पहले से कोई नाता रहा
ये रहा वो, वो गया वो, मैं यही कहता रहा
और उसके साथ ही यह दिल मेरा जाता रहा
… शिवकुमार बिलगरामी