** कौन सुनेगा मीठी बातें दिल की **
** कौन सुनेगा मीठी बातें दिल की **
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कौन सुनेगा मीठी बातें दिल की,
कोई नहीं समझे प्यारी बातें दिल की।
मन ही मन सह कर चुपचाप रहते हैँ,
चाहकर भी न दिल की बात कहते हैँ,
किस को सुनाएं बीती बातें दिल की।
कोई नहीं समझे प्यारी बातें दिल की।
बहुत दुखदायी है जालिम प्रीत-पराई,
मंझदार छोड़ते हैँ चाट कर दूध-मलाई,
खुद सहनी पड़ती तीखी बातें दिल की।
कोई नहीं समझें प्यारी बातें दिल की।
तन्हाई से भरी हो चाहे रहगुजर हमारी,
कोई न सुलझाता उलझी गिरह हमारी,
अनसुनी रह जाएं आधी बातें दिल की।
कोई नहीं समझे प्यारी बातें दिल की।
जब ऑंखें सूखी हों तो दिल यूँ रोता है,
हम जाग निकाले रातें पर वो सोता है,
उल्टी हो जाती हैँ सीधी बातें दिल की।
कोई नहीं समझें प्यारी बातें दिल की।
खोये-खोये रहते हैँ मनसीरत प्रेमपंछी,
पल मे उड़ जाए हँसते चेहरे की हँसी,
बैरंग हो जाती है रंगीली बातें दिल की।
कोई नहीं समझगे प्यारी बातें दिल की।
कौन सुनेगा मीठी बातें दिल की।
कोई नहीं समझे प्यारी बातें दिल की।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)