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17 Aug 2022 · 1 min read

क्यों मनुष्य ही मनुष्य को नहीं स्वीकारता

भेदभाव रखना तो धर्म का स्वभाव नहीं,
फिर भी मनुष्य ऊँच नीच क्यों पुकारता।

पशुओं से मेलजोल रखता है किंतु हाय,
क्यों मनुष्य ही मनुष्य को नहीं स्वीकारता।

श्वान को लगाता गले और चूमता है रोज,
हेतु उसके मनुष्य रखता उदारता।

किंतु क्यों मनुष्य को मनुष्य ही अछूत कहे,
हैं सभी समान यहाँ क्यों नहीं विचारता।

घनाक्षरी- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 16/08/2022

1 Like · 373 Views

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