कौन सही, कौन ग़लत !
कौन सही, कौन ग़लत !
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कौन सही है, और कौन ग़लत ,
इसका फैसला ना लें इतनी जल्द !
जब कभी हो जाए अच्छे से फुरसत ,
तो कर लें इसपे आपस में ही डिस्कस !!
प्रायः कई जगह ऐसा देखा जाता है ,
कि लोग आपस में ही भिड़ जाते हैं !
कोई कहते दूसरा ग़लत और हम ही सही हैं ,
और दूसरा कहता कि सब कुछ तो वही हैं !!
कभी ऐसी भी परिस्थितियाॅं आ जातीं ,
कि लोग बड़ों की भी कद्र नहीं करते ,
और आपस में ही लड़ते, झगड़ते रहते !
विषय का सार तक वो नहीं समझ सकते !!
विषय पर डिस्कस करें पर सार समझकर ,
ना कभी मरें आपस में ही लड़ – झगड़कर !
जो कुछ भी करें वो काफ़ी सोच-समझकर ,
शालीन स्वभाव हो,न बोलें कभी अकड़कर !!
हल ना निकल पाये, तो लें औरों का सहारा ,
या पूरे मामले से कर लें खुद को ही किनारा !
पर कोई खटपट न होता किसी को भी गवारा ,
आगे चलकर सब का सब बन जाता है बेचारा !!
क्या कहना चाहता हूॅं , समझें कुछ मेरा इशारा ,
अगर ये सारी बात लगता हो आप सबको प्यारा !
तो कल से गढ़ें कुछ ऐसा, जो हो बिल्कुल ही न्यारा ,
ख़ास दृष्टांत बनाके जिसे, संग झूम पड़े जग ही सारा !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : २८/०६/२०२१.
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