बखान सका है कौन
मैं तुम्हारा हूं कहना
होता बड़ा आसान
जिम्मेदारी निर्वाह में
विचलित होते इंसान
मनसा,वाचा,कर्मणा
जो रहते सदा साथ
कर्म और व्यवहार में
दृष्टिगोचर हों जज्बात
आत्मीय संबंधों को होती
नहीं है शब्दों की दरकार
हाव,भाव, भंगिमा से ही
प्रकट हो जाता है प्यार
लाख शब्दों पे भारी पड़ता
सदा कर्तव्य परायण मौन
मां बाप की भूमिका को इस
जग में बखान सका है कौन