कौन कहता है
कौन कहता है
कौन कहता है हमने तरक्की की है
हमने अपने संस्कारों को तिलांजलि दी है
कौन कहता है हमने उन्नति की है
हमने अपने रिश्तों से नफ़रत की है
कौन कहता है हमने प्रगति की है
हमने अपनी सेहत को तिलांजलि दी है
कौन कहता है हमने तरक्की की है
हमने अपने अपनों को तिलांजलि दी है
कौन कहता है हमने तरक्की की है
हमने अपने बुजुर्गों से आँखें फेर ली हैं
कौन कहता है हमने चूम लिया है आसमां
धरती के प्राणियों से हमने नफ़रत की है
कौन कहता है हमने तरक्की की है
हमने सड़कों पर बहते लहू की सौगात दी है
कौन कहता है हिन्दू मुस्लिम भाई – भाई
हमारे नेताओं ने नफ़रत की राजनीति की है
चंद्रमा पर पहुँचने का गर्व लिए जी रहे हैं लोग
धरती के चाँद – सितारों से हमने नफ़रत की है
कौन कहता है हमने तरक्की की है
हमने प्रकृति की खूबसूरती को तिलांजलि दी है
कौन कहता है हमने तरक्की की है
हर एक घर को बीमारियों की सौगात दी है
कौन कहता है हमने तरक्की की है
हमने अपने चमन को ही नासूर बनाने की गलती की है
चलो हम तरक्की के मायने बदलें
चलो हम रिश्तों को निभाने के मायने बदलें
चलो हम इस प्रकृति को अपने प्रयासों से एक खुशनुमा चमन बनाएं
चलो हम अपने संस्कारों को अपनी धरोहर कर लें
चलो हम आदमी को आदमी समझने की नायाब कोशिश कर लें
चलो हम खुद को ही इंसानियत की राह की इबादत कर लें