कौन कहता ये यहां नहीं है ?🙏
कौन कहता ये यहां नहीं है ?
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कौन कहता ये नहीं यहां
स्वार्थ ईर्ष्या अभाव भूख
क्या से क्या करता है जन
नहीं हो ना वो जल्दी होता
होने वाला कभी ना होता
मजबूर भूखा प्यासा निर्वस्त्र
तन कुछ करने तैयार खड़़ा
दावानल नग का नाशक
जठरानल भूखों का दाता
अभाव ईच्छा इनके प्रनेता
कौन कहता ये यहां नहीं
पग विपद पातक यहां
घातक घात लगाये डटे यहां
पातक पापी को डर नहीं
सत्य रोज कूचला जाता जहां
शासन कानून न्याय भय नही
चोरी ठगी नुक्से विचित्र यहाँ
साईबरक्राइम हाईजैक फ्राउंड
टेक्नोलॉजी ठग काली झोली
लिए बैठा फिर भीकौन कहता
यहां नहीं वहां नहीं कहां नही
चाटुकार हिंसकों का बोलवाला
सत्य अहिंसा का मूल्य नहीं
बेवफाई श्रमहीन स्वेद रक्त
रंजित मृदुल वचन धर्मांतरण
बहरुपिया जाल बिछाये बैठा
गांव नगर झोपड़ी आशियाने
नव कोमल पल्लव सी मानुष
नवयुवक नवयुवतियों के दिक्
भ्रमिता का नूतन टूलबार छिपा
फोन मोबाइल कम्प्यूटर सहस्त्र
हाथों से हाथ मिलाने खड़ा यहाँ
प्रशासन हत्थे चढ़ रहे प्रतिदिन
टूलधारी बेफ्रिक भयहीन काहिल
कपटी जाली उग्रवादी हड़ताली
भ्रष्टाचारी जमाखोरी गद्दारी का
किस्मत सड़ते तहखाने कैदरवाने
फिर भी तनिक लाज शर्म नहीं
सबल हो न्याय धर्म को पछाड
केसरी का शीश झुकाने छोड़ते
मिशाइल अंगार प्रलय का वाण
जान माल क्षति का गम नहीं
स्वदेश विनाशक संहारक रिपु
लोभ पालक दायित्वहीन एक
नर पिचाश स्वदेशी हैं ये गद्दार
माता पिता बहन भाई नारी
गरिमा सम्मान माँग क्षण छीन
आंसू के बदले नयनों के खून
देश मान को शर्मसार कर देते
कहता कौन यहाँ ये नहीं वो नहीं
जो सोचो वो जड़़ जमा बैठे जहाँ
तब नहीं जब मानस मस्तिष्क से
अहंकार क्रोध ईर्ष्या प्रपंच द्वेष
का विनाश हो यह भी तभी संभव
जब दिल में सद्भावना दया करूणा
धर्म परहित देश प्रेम का इक भाव हो
फिर तब ये मत कहना कि यहाँ
ये नहीं वें नहीं सब है पर परख
पहचान ही की भले ही कमी यहां
फिर कौन कहता कि ये यहाँ नहीं
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तारकेश्वर प्रसाद तरूण