कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की
कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की
न दिन हमारे मन का न रात हमारे मन की
कुछ नही था ऐसा,सोच रखा था जैसा,ना
मेघ हमारे मन के न बरसात हमारे मन की
हर लड़की के मां बाप यही कहते हैं अक्सर
न गौत्र हमारे मन का न जात हमारे मन की
होता है वही जिंदगी मे जो मुकर्रर होता है
न जीत हमारे मन की न मात हमारे मन की
जगह,लोग,मौसम,सब मुखालिफ थे,ना था
वकत हमारे मन का न घात हमारे मन की
मारूफ आलम