कौन करें
वहशत में वहशत का तक़ाज़ा कौन करे
अब इस उम्र जर्द ओ रंज इजाफा कौन करे
हाँ तस्सल्ली है मुझको तमस में जी कर भी
यार फूजूल में हर बात पे सियापा कौन करे
मु’आमला ये है कि शफ़क पे हमदोनो सरबसर
मस’अला ये है कि पहले पहल इशारा कौन करे
सुखन महदूद गर क़त’आत तक तो कोई गम नइ
यार ईमान बेच कर क़्लबी ख्याल हुवैदा कौन करे
रजा है हमको हिज्र ए रात रंज ओ गम इश्के के
मियाँ मलाल कर अब सुक़ुत-ए-मिज़्गाँ कौन करे
जब हर इक पहलू में मयस्सर मुश्क-बू सुखन मिरी
फिर कुनू इस जहां से मेरा वुजूद नयस्तां कौन करे