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9 Jan 2018 · 1 min read

कोहरा

पारा गिरता जा रहा, हुए सभी बेहाल
बिछा हुआ जो हर तरफ, कोहरे का ही जाल
कोहरे का ही जाल, छुपा भी सूरज ऐसे
यहां गुनगुनी धूप, बिछाये अब वो कैसे
दिन भी लगते साँझ, नज़ारा बदला सारा
सही न जाये ठंड, गिरा है इतना पारा

08-01-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

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