Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Dec 2020 · 1 min read

“कोहरा है कुछ पल का”

कोहरा है कुछ पल का ,हटने तो दो।
सूरज अभी अभी उगा है ,सिर पर चढ़ने तो दो।
माना कि, हालात से परेशान हू मै।
पर हारा नहीं हूं ,मुझे थोड़ा संभलने तो दो।
कोहरा है कुछ पल का, हटने तो दो।
माना की,जीत गए तुम।
आज दिन तेरा है ,कल मेरा भी होगा।
वक्त को, बदलने तो दो।
कोहरा है कुछ पल का,हटने तो दो।
माना कि कुछ पल चल ,में भटक गया हूं।
फिर उट, खड़ा हो जाऊ गा।
मंजिल का पता, चलने तो दो।
कोहरा है कुछ पल का हटने तो दो।
दुश्मन बहुत है,मैं ये जानता हूं।
वो भी दोस्त ,बन जाएंगे।
सिक्कों की खनक बजने तो दो।
कोहरा है कुछ पल, का हटने तो दो।

Language: Hindi
14 Likes · 30 Comments · 749 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़लती कर रहे कि सही,
ग़लती कर रहे कि सही,
Ajit Kumar "Karn"
लोगो को जिंदा रहने के लिए हर पल सोचना पड़ता है जिस दिन सोचने
लोगो को जिंदा रहने के लिए हर पल सोचना पड़ता है जिस दिन सोचने
Rj Anand Prajapati
#वंदन_अभिनंदन
#वंदन_अभिनंदन
*प्रणय*
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
Keshav kishor Kumar
"नया दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा साया ही
मेरा साया ही
Atul "Krishn"
श्रीराम किसको चाहिए..?
श्रीराम किसको चाहिए..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*श्रग्विणी/ श्रृंगारिणी/लक्ष्मीधरा/कामिनी मोहन* -- (द्वादशाक
*श्रग्विणी/ श्रृंगारिणी/लक्ष्मीधरा/कामिनी मोहन* -- (द्वादशाक
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सच ही सच
सच ही सच
Neeraj Agarwal
मैने सूरज की किरणों को कुछ देर के लिये रोका है ।
मैने सूरज की किरणों को कुछ देर के लिये रोका है ।
Ashwini sharma
यूँ तो हमें
यूँ तो हमें
हिमांशु Kulshrestha
बार -बार दिल हुस्न की ,
बार -बार दिल हुस्न की ,
sushil sarna
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
शेखर सिंह
जीवन के सारे सुख से मैं वंचित हूँ,
जीवन के सारे सुख से मैं वंचित हूँ,
Shweta Soni
बचपन
बचपन
संजय कुमार संजू
**OPS माँग भरा मुक्तक**
**OPS माँग भरा मुक्तक**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चार मुक्तक
चार मुक्तक
Suryakant Dwivedi
* इस तरह महॅंगाई को काबू में लाना चाहिए【हिंदी गजल/ गीति
* इस तरह महॅंगाई को काबू में लाना चाहिए【हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
मुस्कुराना जरूरी है
मुस्कुराना जरूरी है
Mamta Rani
3887.*पूर्णिका*
3887.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"Cakhia TV - Nền tảng xem bóng đá trực tuyến hàng đầu. Truyề
Social Cakhiatv
मेरे एहसास
मेरे एहसास
Dr fauzia Naseem shad
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
गीत
गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
दबे पाँव
दबे पाँव
Davina Amar Thakral
तज द्वेष
तज द्वेष
Neelam Sharma
*हमारा संविधान*
*हमारा संविधान*
Dushyant Kumar
Loading...