“कोहरा है कुछ पल का”
कोहरा है कुछ पल का ,हटने तो दो।
सूरज अभी अभी उगा है ,सिर पर चढ़ने तो दो।
माना कि, हालात से परेशान हू मै।
पर हारा नहीं हूं ,मुझे थोड़ा संभलने तो दो।
कोहरा है कुछ पल का, हटने तो दो।
माना की,जीत गए तुम।
आज दिन तेरा है ,कल मेरा भी होगा।
वक्त को, बदलने तो दो।
कोहरा है कुछ पल का,हटने तो दो।
माना कि कुछ पल चल ,में भटक गया हूं।
फिर उट, खड़ा हो जाऊ गा।
मंजिल का पता, चलने तो दो।
कोहरा है कुछ पल का हटने तो दो।
दुश्मन बहुत है,मैं ये जानता हूं।
वो भी दोस्त ,बन जाएंगे।
सिक्कों की खनक बजने तो दो।
कोहरा है कुछ पल, का हटने तो दो।