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3 Jul 2024 · 1 min read

कोहराम मचा सकते हैं

कैसे आवाज हमारी वह दबा सकते हैं
हम अगर चाहें तो कोहराम मचा सकते हैं

मांगकर पैर वह कद अपना बढ़ा सकते हैं
क्या कहीं ऐसे कोई दौड़ लगा सकते है ?

रूह में आप उतर जाएं बहुत मुश्किल है
हुस्न की शान में नगमे ही सुना सकते हैं

आबो दाने का बंदोबस्त नहीं है लेकिन
हम परिंदों को तो पिंजरे से उड़ा सकते हैँ

हार जाते हैं बहुत शौक से जीती बाज़ी
कत्ल रिश्तो का वही लोग बचा सकते हैं

चापलूसी का जिन्हें खूब हुनर आता है
ये कसीदे तो वही लोग सुना सकते हैं

जिनको फुर्सत है ज़माने के गमों से अरशद
तेरी राहों में वही फूल बिछा सकते हैं

2 Likes · 32 Views
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