Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jul 2024 · 1 min read

कोहराम मचा सकते हैं

कैसे आवाज हमारी वह दबा सकते हैं
हम अगर चाहें तो कोहराम मचा सकते हैं

मांगकर पैर वह कद अपना बढ़ा सकते हैं
क्या कहीं ऐसे कोई दौड़ लगा सकते है ?

रूह में आप उतर जाएं बहुत मुश्किल है
हुस्न की शान में नगमे ही सुना सकते हैं

आबो दाने का बंदोबस्त नहीं है लेकिन
हम परिंदों को तो पिंजरे से उड़ा सकते हैँ

हार जाते हैं बहुत शौक से जीती बाज़ी
कत्ल रिश्तो का वही लोग बचा सकते हैं

चापलूसी का जिन्हें खूब हुनर आता है
ये कसीदे तो वही लोग सुना सकते हैं

जिनको फुर्सत है ज़माने के गमों से अरशद
तेरी राहों में वही फूल बिछा सकते हैं

2 Likes · 134 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कभी कभी
कभी कभी
surenderpal vaidya
बूढ़ी मां
बूढ़ी मां
Sûrëkhâ
कविता तुम से
कविता तुम से
Awadhesh Singh
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
आदिवासी कभी छल नहीं करते
आदिवासी कभी छल नहीं करते
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
करके ये वादे मुकर जायेंगे
करके ये वादे मुकर जायेंगे
Gouri tiwari
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Omee Bhargava
यूं इश्क़ भी पढ़े लिखों से निभाया न गया,
यूं इश्क़ भी पढ़े लिखों से निभाया न गया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अपनी सोच का शब्द मत दो
अपनी सोच का शब्द मत दो
Mamta Singh Devaa
अनपढ़ प्रेम
अनपढ़ प्रेम
Pratibha Pandey
पसीने वाली गाड़ी
पसीने वाली गाड़ी
Lovi Mishra
चांद देखा
चांद देखा
goutam shaw
बेटा
बेटा
अनिल "आदर्श"
ग़ज़ल _ सरकार आ गए हैं , सरकार आ गए हैं ,
ग़ज़ल _ सरकार आ गए हैं , सरकार आ गए हैं ,
Neelofar Khan
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
Kumar Akhilesh
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
दुनिया रैन बसेरा है
दुनिया रैन बसेरा है
अरशद रसूल बदायूंनी
मेरी मां।
मेरी मां।
Taj Mohammad
चल‌ मनवा चलें....!!!
चल‌ मनवा चलें....!!!
Kanchan Khanna
उकेर गई
उकेर गई
sushil sarna
🙅एक सच🙅
🙅एक सच🙅
*प्रणय*
"मैं तैयार था, मगर वो राजी नहीं थी ll
पूर्वार्थ
सच समझने में चूका तंत्र सारा
सच समझने में चूका तंत्र सारा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"निगाहें"
Dr. Kishan tandon kranti
शीर्षक:गुरु मेरा अभिमान
शीर्षक:गुरु मेरा अभिमान
Harminder Kaur
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
*नहीं समस्या का हल कोई, किंचित आलौकिक निकलेगा (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
3374⚘ *पूर्णिका* ⚘
3374⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पलकों ने बहुत समझाया पर ये आंख नहीं मानी।
पलकों ने बहुत समझाया पर ये आंख नहीं मानी।
Rj Anand Prajapati
Loading...