कोशिश में हूं
मै अभी जद्दो जहद का नकाब उठाने की कोशिश में हूं
कोई रूठा हुआ है यार उसको मनाने की कोशिश में हूं
अब शक की चिंगारी लग चुकी है उस नादान दिल में
नादान दिल को उस चिंगारी से बचाने की कोशिश में हूं
बिखर जाए ना उनकी जिंदगी तास के पत्तों के जैसे
मैे बहकती हवाओं से उन्हें बचाने की कोशिश में हूं
कुछ लोग मेरे जख्मों पर नमक डालने आए थे
मै मेरे जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश में हूं
नफरतें जिस तरह घर बना रही हैं हमारे घर में
नफरतों को सभी घर से मिटाने की कोशिश में हूं
छाया है जिस तरह सबकी आंखों पर दिन में ही अंधेरा
मै ” ज्योति “प्रकाश बन कर अंधेरा मिटाने की कोशिश में हूं।।
ज्योति प्रकाश राय
prakashrai00123@gmail.com
भदोही उत्तर प्रदेश