“कोशिशो के भी सपने होते हैं”
कुछ शब्दों को लिखने का,
कुछ जेहन की सिलवटों का ।
एक नन्ही सी चींटी ,जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारो पर सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
हार जाओ फिर भी नही अखरता है।
कोशिश कर के पौधों को पानी दो,
बंजर जमीन से भी फल निकलता है।
जिंदा रखो दिल मे ,उम्मीदों को,
मरुस्थल में भी जल निकलेगा।
कोशिश करो कुछ कर गुजरने का,
जो आज थमा थमा सा ,वह चल निकलेगा।
अपने किस्मत को ना दोष दिया करिये,
कुछ ना करने से बेहतर है, कुछ किया करिये।
रखो हिम्मत तूफान से ,टकराने की,
जरूरत नही समस्या से घबराने की।
समस्याओं को, रास्ते से निकाल दो,
पत्थर हो तो ठोकर से, उछाल दो।
मकड़ी गिरती उठती सौ बार,
गिरकर उठना सिखाती है बार बार।
सफल वही होता है ,जो हौसला नही खोता है,
सफलता का मूल वही जानता है,
जो जिंदगी की राह गिर कर उठता है।
कोशिश करते जाओ, कभी हार ना मानो,
अपने सही कर्म करो,लक्ष्य को पहचानो।
कुम्हार मिट्टी को पीट कर घड़ा बनाता है,
तब उसको तपती भट्टी में पकाता है।
पानी है सफलता तो,खुद को आजाद करो,
देखा ना हो कोई ,नया कुछ ईजाद करो।
जितना बड़ा सपना उतनी बड़ी मुश्किलें,
जितनी बड़ी मुश्किलें, उतनी बड़ी हासिलें।
अपने विचारों पर बुनियाद करो,
अपने हौसला को फ़ौलाद करो।
एक एक कदम से कामयाबी मिलती है,
कोशिश करने से हर बार मुट्ठी खाली नही होती है।
कोशिशों के राहों में,यदि होंगे इरादे पक्के,
अडिग इरादों के छुड़ा देंगे छक्के।
सपनों में रख आस्था ,कर्म को किये जा,
त्याग से न डर ,आलस परित्याग किये जा।
जब तक पत्थर पर ,हथौड़े की चोट नही पड़ते,
तब तक पत्थर भी भगवान नही बनते।
कोशिश के भी सपने है और हैं अरमान,
कोशिश को अपनाने से ,बनते हैं महान।।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव ✍️
प्रयागराज