कोशिशें…
यूँ सिमट करके तू कब तलक बैठेगा
कोशिशें कर तेरा कुछ नहीं जायेगा
इन अँधेरों से हिम्मत ना हारा अगर
तो सवेरा नया लौट कर आएगा
तू अगर है सही तो जरा सब्र कर
हकीकत खुद-ब-खुद वक्त बतलायेगा
ये समय है जो वो कीमती है बहुत
ये समय फिर से ना लौट कर आएगा
इस तरह बैठने से कटेंगें ना दिन
कब तलक यूँ ही भूखा तू सो पायेगा
कुछ समझदार बन काम हिम्मत से ले
सारी बातें तुझे कौन समझायेगा
जग गया गर अभी तू तेरे ख्वाबों से
तो तू हालात तेरे बदल पायेगा
धैर्य है और खुद पे भरोसा है गर
ना कोई कर सका वो तू कर जायेगा।
– मानसी पाल
‘ फतेहपुर’