कोरोना
कुछ जहान सें तो कुछ काम सें गए
कैसा मर्ज है, चारागर आराम सें गए ।
अजनबी शक्स बनके रसूल आए
मौका-परस्त सियासती आवाम सें गए
नई जमात वाले बङे संग-दिल निकले
तर्के-मुसाफ़हा पे सलाम सें गए
ब-कौल-ए-मयकश क्यूँ न जाती वबा
जरासीम तक जिसके मुदाम सें गए
‘सागर घङसानवी’
मर्ज-बीमारी, चारागर-डोक्टर, रसूल-पैगम्बर, संग-दिल – पत्थर-दिल, तर्के-मुसाफ़हा – हाथ मिलाने कि क्रिया का छूटना, ब-कोल-ए-मयकश – शराबी के अनुसार, वबा-महामारी, जरासीम-किटाणु, मुदाम-शराब