कोरोना
समय थमा,
विकास थमा,
सूक्ष्म वुहनी,
कोरोना वायरस –
प्रकोप से!
बंदी-
बेरोज़गारी-
मौत –
का बाज़ार बढ़ा!
सरक्षा में भागते
पैरों में छाले पड़े
मौत के खौफ से
कुछ बर्बाद
कुछ मालदार बने!
लॉकडॉउन हुआ-
घर जेल हुए
दूरियां बढ़ी!
जल,थल,आकाश
किन्तु स्वच्छ हुए
परिंदे चौपाई
प्रसन्न हुए!
(काजल चौधरी)
“कानपुर नगर,
उत्तर प्रदेश”