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17 Dec 2020 · 1 min read

कोरोना

आया अदृश्य वायरस , हाथ सैनेटाइज कर।
हाथ सैनेटाइज कर, खूब सैनेटाइज कर ।।

मास्क को मुख पर लगा , हाथ ग्लोब्स पहन
कपडे सैनेटाइज कर, सोशल डिस्टेंस रख

मैं भोगूँ अज्ञातवास , क्योंकि दूर तुमसे हूँ
कैसे पूरा हो अज्ञात वास , पा भी खोया हूँ

सोशल डिस्टेन्सिंग है कवच , जो सुरक्षा करे
हाथ सैनेटाइज कर , मास्क सैनेटाइज कर

आया अदृश्य वायरस , हाथ सैनेटाइज कर।
हाथ सैनेटाइज कर, खूब सैनेटाइज कर ।।

राम पांडव जैसा अज्ञात वास, भोगा नहीं
मिलनसार भारतीय समाज ने , सोचा नहीं

पार्क बेन्चे, खेलमैदान,पब्लिक पैलेस खाली
मन हो गया बैचेन , दिमाग ख्याली ख्याली

सीमाएँ सबकी तय हो , भूगोल बदल गया
क्या करूँ क्या न ,जनमानस को सजग कर

आया अदृश्य वायरस , हाथ सैनेटाइज कर।
हाथ सैनेटाइज कर, खूब सैनेटाइज कर ।।

धो धो कर हाथ , दिमाग अपना धुल गया
समझे अपने को दादा , पोल खुल गया

मर्मान्तक शोक गीत , मजदूर मरे राह में
एक दो नहीं , हजारों शामिल पदयात्रा में

मरे तो अपनों बीच, सोच बढ चले पगडण्डी
वक्त के मारे मरे भूखे, मदद को आगे बढ़

आया अदृश्य वायरस , हाथ सैनेटाइज कर।
हाथ सैनेटाइज कर, खूब सैनेटाइज कर ।।

देख संकट मडराता , आत्मा को सैनेटाइज किया
बढे हाथ मदद को , आगे जरूरत का दान किया

भारतीय संस्कृति का मूलतत्व , यहीं है आधार
बढे हाथ मदद को जब , तू हाथ आगे कर

आया अदृश्य वायरस , हाथ सैनेटाइज कर।
हाथ सैनेटाइज कर, खूब सैनेटाइज कर ।।

94 Likes · 38 Comments · 1096 Views
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