Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Dec 2020 · 1 min read

“कोरोना”

चीन से एक यम जब रवाना हुआ।
उसकी दहशत में सारा जमाना हुआ।

रोग फैला ये ऐसा गली हर नगर,
इसका सारा जहाँ तो निशाना हुआ।

बढ़ चली इस कदर ये हवा छूत की,
सांस पर इसका पहरा बिठाना हुआ।

घुट रहा आज दम देखो इंसान का,
क्या खुदा को जहाँ ये मिटाना हुआ।

डर रहा आदमीे आदमी से यहाँ,
दूरियाें से ही अब दोस्ताना हुआ।

वक़्त है कह रहा घर में रहना अभी,
रोज का बंद मिलना मिलाना हुआ।

हैं परेशां सभी काम भी ठप्प है,
क्या करें रोजी मुश्किल चलाना हुआ।

राह वीरान जंगल सा है दिख रहा,
मुफलिसी का तो घर में ठिकाना हुआ।

धीरेन्द्र वर्मा ‘धीर’
मोहम्मदी-खीरी (उत्तर प्रदेश)

27 Likes · 79 Comments · 2071 Views

You may also like these posts

24/247. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/247. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"जल"
Dr. Kishan tandon kranti
बेपरवाह
बेपरवाह
Omee Bhargava
वैश्विक खतरे के बदलते स्वरूप में भारत की तैयारी
वैश्विक खतरे के बदलते स्वरूप में भारत की तैयारी
Sudhir srivastava
उड़ने दो
उड़ने दो
Uttirna Dhar
उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
अंसार एटवी
"गानों में गालियों का प्रचलन है ll
पूर्वार्थ
उज्जवल रवि यूँ पुकारता
उज्जवल रवि यूँ पुकारता
Kavita Chouhan
यक्षिणी- 27
यक्षिणी- 27
Dr MusafiR BaithA
.........कृष्ण अवतारी......
.........कृष्ण अवतारी......
Mohan Tiwari
नहीं हम हैं वैसे, जो कि तरसे तुमको
नहीं हम हैं वैसे, जो कि तरसे तुमको
gurudeenverma198
दोहा
दोहा
Shriyansh Gupta
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Sakshi Tripathi
ध्रुव तारा
ध्रुव तारा
Bodhisatva kastooriya
sp61 जीव हर संसार में
sp61 जीव हर संसार में
Manoj Shrivastava
नामुमकिन है
नामुमकिन है
Dr fauzia Naseem shad
चुपचाप निकल ले बेटा
चुपचाप निकल ले बेटा
Shekhar Chandra Mitra
मुझे फुरसत से मिलना है तुमसे…
मुझे फुरसत से मिलना है तुमसे…
PRATIK JANGID
#आस्था_पर्व-
#आस्था_पर्व-
*प्रणय*
गुरु
गुरु
Mandar Gangal
नव वर्ष का आगाज़
नव वर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
पानी  के छींटें में भी  दम बहुत है
पानी के छींटें में भी दम बहुत है
Paras Nath Jha
कांटों में जो फूल खिले हैं अच्छे हैं।
कांटों में जो फूल खिले हैं अच्छे हैं।
Vijay kumar Pandey
स्त्री
स्त्री
Shweta Soni
विजय द्वार (कविता)
विजय द्वार (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
उन सड़कों ने प्रेम जिंदा रखा है
उन सड़कों ने प्रेम जिंदा रखा है
Arun Kumar Yadav
दीपावली
दीपावली
Dr Archana Gupta
जो हम सोचेंगे वही हम होंगे, हमें अपने विचार भावना को देखना ह
जो हम सोचेंगे वही हम होंगे, हमें अपने विचार भावना को देखना ह
Ravikesh Jha
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
Neelam Sharma
भारतवर्ष महान
भारतवर्ष महान
surenderpal vaidya
Loading...