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16 Dec 2020 · 1 min read

“कोरोना”

चीन से एक यम जब रवाना हुआ।
उसकी दहशत में सारा जमाना हुआ।

रोग फैला ये ऐसा गली हर नगर,
इसका सारा जहाँ तो निशाना हुआ।

बढ़ चली इस कदर ये हवा छूत की,
सांस पर इसका पहरा बिठाना हुआ।

घुट रहा आज दम देखो इंसान का,
क्या खुदा को जहाँ ये मिटाना हुआ।

डर रहा आदमीे आदमी से यहाँ,
दूरियाें से ही अब दोस्ताना हुआ।

वक़्त है कह रहा घर में रहना अभी,
रोज का बंद मिलना मिलाना हुआ।

हैं परेशां सभी काम भी ठप्प है,
क्या करें रोजी मुश्किल चलाना हुआ।

राह वीरान जंगल सा है दिख रहा,
मुफलिसी का तो घर में ठिकाना हुआ।

धीरेन्द्र वर्मा ‘धीर’
मोहम्मदी-खीरी (उत्तर प्रदेश)

27 Likes · 79 Comments · 2059 Views
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