राखि कांधे पर उन्हीं की
नवगीत
किसानों के आंदोलन के संदर्भ में
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राखि कांधे पर उन्हीं की
साधते बन्दूक उनकी।
भाड़ में जाये जमाना
छद्म है यह चाल उनकी।।
नित रहे बहका उन्हें वो।
हैं सरल सीधे मनुज जो।।
छल रहे बनकर हितैषी
है दिखावा भाष्य उनकी।
राखि कांधे पर उन्हीं की
साधते बन्दूक उनकी।।
मार्ग से भटका रहे हैं।
बात को अटका रहे हैं।।
है सतत प्रयास उनका
बात नहीं बन जाय उन की।
राखि कांधे पर उन्हीं की
साधते बन्दूक उनकी।।
?अटल मुरादाबादी?