*”कोरोना”*
“काव्य प्रतियोगिता”
विषय – “कोरोना”
“इंतजार”
इंतजार की ये घड़ी,देहलीज जो पार की,
घिरोगे फिर रोग से आफत आ जायेगी।
आफत कोरोना आई, ये दुनिया बदल गई,
चारों ओर घिर गए, खुद को बचाईये।
कोहराम मचा हुआ ,बंद क्यों शहर हुआ,
मानव घर में कैद हुआ ,समय बिताइए।
समय ये अजीब आया,विश्व में संकट छाया ,
अरे लोगों को समझाना है,फर्ज तो निभाइए।
स्कूल कालेज बंद है ,मंदिर के पट भी बंद हैं,
अंतर्मन में ज्योति जगा हिम्मत बंधायेगी।
डॉक्टर ,पुलिस , सफ़ाई कर्मियों,
करते हम सबकी सेवा,
आभार व्यक्त करें, जिंदगी बचायेगी।
सच का सामना करें ,नित नए काम करें,
प्रभु सुमिरन करें शक्ति आ जायेगी।
हार हो या जीत हो ,जीवन सुरक्षित हो,
दृढ़ संकल्प से, उम्मीद जगायेगी।
संकट की ये घड़ी आई, थोडा इतंजार करें,
मन में धीरज धरें थोडा सा मुस्कराइए।
जिसे जीना आ गया अपना फर्ज निभा गया,
लक्ष्मण रेखा खींचकर जीवन को बचाईये।
शशिकला व्यास ✍️