कोरोना
कोरोना! तुम जाओ ना
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कोरोना!तुमने बहुत सताया
अब तो घर को जाओ ना
तेरी मम्मी ढूँढती तुझको
दूध-भात तो खाओ ना।
क्यूँ भूखे प्यासे दौड़ रहे हो
देश-देश में भटक रहे हो
अपने घर को जाओ ना
हलवा-पूड़ी खाओ ना।
तेरी मम्मी रोती हरदम
‘कहाँ गया बेटा कोरोना’
माँ की गोदी में छिप जाओ
उसको थोड़ा प्यार करो ना।
मम्मी तो मम्मी होती है
बेटे से प्यार वो करती है
बेटा अच्छा हो,बुरा हो
बेटे पर वो मरती है।
कोरोना! तुम अच्छे हो
प्यारे-प्यारे बच्चे हो
अब धरती को सताओ ना
दूजे ग्रह पर जाओ ना।
–अनिल कुमार मिश्र