कोरोना-2
प्रतियोगिता में शामिल कविता “कोरोना” की कुछ पंक्तियाँ जिन्हे शब्द सीमा की वजह से मूल कविता से हटाना पड़ा था …वह आप सभी के आशीर्वाद हेतु प्रस्तुत है
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॥कोरोना -2॥
सूना हर शहर, हर गाँव, हर कस्बा हो गया,
पल में बीतने वाला वक्त अब लम्बा हो गया,
लाॅकडाउन जब कई मरतबा हो गया,
अकेले रहने का भी तब तजुर्बा हो गया,
रिश्ते-नातों को प्रेमसूत्र में पिरोना आ गया,
हम सबको पाठ पढ़ाने ‘कोरोना’ आ गया।
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रचनाकार- रूपेश श्रीवास्तव ‘काफ़िर’
स्थान- लखनऊ (उ०प्र०)