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31 Mar 2020 · 1 min read

कोरोना

कैसा ये सन्नाटा पसरा है यहाँ
कोई दहशत गर्द गुजरा है यहाँ

आदमी को आदमी से डर लगे
जिंदगी को आज खतरा है यहाँ

शह्’र हो या गाँव फैली ख़ामुशी
हो गया पत्थर का सहरा है यहाँ

फूल तन्हा रह गया है बाग में
कोई तितली है न भँवरा है यहाँ

अपने ही अब अजनबी से हो गए
इक नया मंजर ये उभरा है यहाँ

3 Likes · 1 Comment · 443 Views
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