कोरोना
विधा :- मुक्त
शीर्षक :- कोरोना
ले ढ़ोल नगाड़े हाथों में
सब निकले बातों-बातों में
बज उठे शंख हर गलियों में
सब एक हुए रंगरलियों में
कुछ ने ताली से दिया मान
कुछ चम्मच थाली से किया गान
हम साथ खड़े हैं अपनो के
जो लड़ रहें कोरोना जुल्मों से
ललकार उठी मानवता फिर
रण में कोरोना गया घिर
है वक्त हमे भी करना है
कोरोना से मिल लड़ना है।
रचना :- मिथलेश सिंह”मिलिंद”