कोरोना शत्रु है कोई मज़ाक नहीं
सुनो!मज़ाक उड़ाने वालो,नियम तोड़ के जाने वालो।
कोरोना विस्तार बढ़ा है,अफ़वाहों का अंबार नहीं।।
छोटी ग़लती बड़ी न करना,
ध्यान बात पर पूरा धरना,
आदेशों को मानों सारे,
बहुत बुरा होगा रे!वरना,
इटली कितना घबराया है,अमेरिका लिए सुधार नहीं।
चीनी पहले बरबाद हुए,और अभी तक गुलज़ार नहीं।।
हँसी हक़ीक़त ना हो जाए,
बीज क़हर के ना बो जाए,
संभलो!संभलो माँग समय की,
अफ़सोस न कोई रह जाए,
आँखें खोलो यूँ ना डोलो,घर अपना ये काराग़ार नहीं।
कुछ दिन अपनो संग रहो तुम,जीत तुम्हारी है हार नहीं।।
अमीरी ग़रीबी जाति धर्म,
सब पर इसका एक अधर्म,
रिश्वत न सिफ़ारिश को माने,
कोरोना रोना रहा मर्म,
सावधान होकर है रहना,लापरवाही इक बार नहीं।
शत्रु सभी का है कोरोना,लगे किसी का ये यार नहीं।।
मंदिर मस्ज़िद गिरजा सारे,
बंद हुएँ हैं सब गुरुद्वारे,
देवी-देवा गए स्वर्ग में,
अपना जीवन स्वयं सँवारें,
ब्रहमास्त्र जंग खाए है रे!जंग करे वो अब धार नहीं।
अपना युद्ध स्वयं लड़ना है,अन्यथा यहाँ उद्धार नहीं।।
–आर.एस.प्रीतम