कोरोना “विध्वंसक विषाणु शक्ति”
कोरोना ने मातम का माहौल बनाया,
जीवन के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाया।
कोरोना ने सनातन धर्म याद दिलाया,
हाथ जोड़कर अभिवादन करना सिखाया।
कोरोना ने आँख, नाक और मुँह को अपना प्रवेश द्वार बनाया,
हमने भी स्वच्छता के नियमो को पूर्ण रूप से अपनाया।
कोरोना ने मायूसी का प्रसार किया,
हमने भी दृढ़ निश्चय से उसका साक्षात्कार किया।
कोरोना तूने मानव जाति को शिकार बनाया,
पर डॉक्टर ने भी पूर्ण समर्पण से तुझे हराया।
कोरोना तूने गति पर विराम लगाया,
परंतु हमने मानवता पर अटूट विश्वास दिखाया।
कोरोना तूने जन -जन पर कहर बरसाया,
जनमानस के जीवन से खुशहाली को दूर भगाया।
कोरोना तूने आवागमन को बाधित किया,
मेल मिलाप का दस्तूर जीवन से गायब किया।
कोरोना तूने विनाश का रास्ता अपनाया,
हमने भी ईश्वरीय सत्ता पर पूर्ण विश्वास दिखाया।
कोरोना तूने जन-जन में अलगाव को बढ़ाया,
हमने भी अपने सुक्ष्म प्रयासों से जिंदगियों को बचाया।
कोरोना तूने विश्व में सन्नाटे को हर तरफ फैलाया,
हमने भी प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाया।
कोरोना तूने विध्वंस का विकराल स्वरूप अपनाया,
हमने भी एकजुट होकर तुझे हराने का मन बनाया।
कोरोना तूने बेगुनाह मासूमो को निशाना बनाया,
हमने भी अनुशासन में रहकर तेरा विस्तार गिराया।
कोरोना तूने जनता की आजादी पर प्रतिबंध लगाया,
मोदीजी ने भी लॉकडाउन द्वारा बचने का रास्ता सुझाया।
कोरोना तूने महामारी का रूप अपनाया,
हमने भी भारत को कोरोना मुक्त करने का बीड़ा उठाया।
कोरोना तूने विश्व मे मानव पीड़ा को बढ़ाया,
हमे भी पुरातन संस्कृति को छोड़ने का दुष्परिणाम बताया।
कोरोना तूने मृत्यु को अपना लक्ष्य बनाया,
हमने भी एकांत को जीवन रक्षा का शस्त्र बनाया।
कोरोना तूने वैश्विक महामारी बनकर हाहाकार मचाया,
तब विश्व को भारतीय संस्कृति का महत्व समझ आया।
कोरोना तूने विध्वंसक विषाणु शक्ति का रूप अपनाया,
पर भारत ने भी एकजुटता और धैर्य को अपना मूल मंत्र बनाया।