कोरोना वायरस दुनिया की महामारी
कोरोना का रोना है जनाब ।
नही तो सभी लोग जी रहे थे जिंदादिली से ।।
चीन वुहान शहर से उठी यह चिंगारी ।
आज पुरी दुनिया इसके आग के लपटो से है घिरी।।
खबर मिली नासा से कि मानव सभ्यता का होगा नाश संकट मे है पृथ्वी की धुरी ।
कि टकरा जाएगा एक क्षुद्र ग्रह ( 52768) पृथ्वी से 29 अप्रैल 2020 की घड़ी ।।
निर्भया कांड मे फांसी होनी थी चार दरिंदगो को भारत मे एक छोटी से बच्ची से बलात्कार कर हत्या करने के जुर्म मे उच्चतम न्यायालय के आदेश से क्या खुश है वे सब हवस के पुजारी कि भगवान् करे फना हो जाए पृथ्वी सारी ।।
एक वृद्ध आकर बैठा मेरे पास आकर एक दिन ।
और कहा ये लक्षण ठीक नही दिख रहा धरती के लिए ।।
ऐसे ही होता है महाविनाश अब लगता है अब आ गया है कलियुग के विनाश होने की पारी ।।
तभी एक बच्चा बोला दादू जीवन क्या है उसको तो हमने अभी करीब से नही देखा ।
भौतिक सुखो का आनंद नही मिल पाएगा स्वप्न टूटा कभी बैठ पाऊ लॉरी ।।
दादू ने कहा जीवन लम्बा होने के बजाय थोड़े ही मे महान होना चाहिए ।
जवानी हो तो स्वामी विवेकानंद जैसी जो अपने विचारो से 11 सितंबर 1893 को शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन मे अपने ओजस्वी तेजस्वी वाणी से पुरे विश्व मे कोरोना वायरस जैसे ला दी थी आपदा पर परिणाम थे अनुकूल और रोमांचकारी ।।
वर्तमान नष्ट तो भविष्य नष्ट दुनिया का हरेक महापुरुष है इसी का विचारणीय ।।
☆☆☆☆Rj Anand Prajapati☆☆☆☆
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