कोरोना योद्धा
कोरोना योद्धा
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जब से कोरोना आया है देश में स्वास्थ्य कर्मियों का महत्व एकदम से महत्वपूर्ण हो गया है।
दीपा की ड्यूटी कोरोना शुरू होने के साथ ही लग गई थी।संवेदनशील दीपा वैसे तो शुरु से ही अपने कर्तव्यों के प्रति सर्मपित थी,परंतु कोरोना की भयावह स्थिति को महसूस करते हुये वह और अधिक संवेदनशील हो गयी थी।
कोरोना मरीजों के लिए जिनकी ड्यूटी लगी होती है वे दिन रात अस्पताल में ही रहते हैं,20 -30 दिन बात ही वो स्टाफ घर जा पाता था।इसीलिए दीपा ने खुद को मजबूत बनाया।अपने सास, ससुर,पति को विस्तार से सब कुछ समझाया,तीन साल की बेटी को खूब प्यार किया, हालांकि ऐसा करते हुए उसकी आँखें भर आयी थीं,परंतु वह खुद को संभालने के साथ ही अपने स्वास्थ्य मिशन पर निकल पड़ी।अस्पताल का हर स्टाफ उसकी कार्य प्रणाली का कायल था।यही नहीं मरीज तो उसके एक इशारे पर चुपचाप सब कुछ करते।सभी मरीजों को लगता जैसे वह उनकी ही माँ बहन बेटी हो।लगातार कोरोना मरीजों के बीच रहते हुऐ वह खुद भी कोरोना पाजिटिव हो गई।मगर ये बात वो अपने परिवार से छिपा गई।चालीस दिन बीतने के बाद भी वह घर नहीं गई।परिवार को किसी तरह फोन पर समझाकर अस्पताल आने से रोक देती रही। भगवान की कृपा से वह जल्दी ही कोरोना को हराकर फिर अपने मिशन में लग गई।
उसके लगन सर्मपण की खूब चर्चा हो रही थी।मुख्यमंत्री तक को खबर लग चुकी थी।
मुख्यमंत्री ने उसके अस्पताल का निरीक्षण किया, साथ ही उसे सर्वश्रेष्ठ कोरोना योद्धा के सम्मान से नवाजते हुए उसके लिए विशेष वेतन वृद्धि व प्रमोशन की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री के सम्मान में उसने इतना भर कहा कि सरहद पर हमारे सैनिक हर समय जान हथेली पर लिए डटे रहते हैं तो हमारा भी फर्ज है कि कोरोना से जीतने के लिए हम भी अपने जान की बाजी लगा दें।धन्यवाद
उपस्थित लोगों ने करतल ध्वनि से तालियां बजाई और उसका सर्मथन किया।
✍सुधीर श्रीवास्तव