कोरोना महामारी
कुछ को खाली पेट की भूख ने मारा,
कुछ को घर लौटने के रास्तों ने मारा,
कुछ को जात पात की घृणा ने मारा,
कुछ को लोभी सत्ता के ऐश्वर्य ने मारा,
कुछ को प्रशासन की शक्ति ने मारा,
कुछ को अंधभक्तों की भक्ति ने मारा ।।
कुछ समाज और लोगों के भय से मरे,
जो आस्तिक थे वे ईश्वर की कृपा से मरे,
जो नास्तिक थे वो अपने कर्म के फल से मरे,
कुछ ख़ुशी से मरे कुछ अपने दुख से मरे ।।
जो हड्डियों के आख़िरी हिलोर तक
सरकार से सवाल करते हुए लड़ सकते थे
वे सरकार की बेशर्म हिंसक हँसी से मरे ।
महामारी से बचाव का घिनौना तर्क देते हुए पुलिस ने
जिनकी पीठ पर लाठियों के काले-लाल फूल रोपे थे
उनके प्रियजन उस फूल की गंध से मरे ।।
महामारी में मरने वाले सबलोग महामारी से नहीं मरे।
©अभिषेक पाण्डेय अभि