“मिलकर हरा देंगे कोरोना को”…
छिपे बैठे हैं कुछ भेड़िये इंसानों की शक्ल में,
मनोरोगी हैं,पैसों के घमंड में जो ऐंठे बैठे है।।
हालत और हालात जज्बातों को बढ़ा देते हैं।
शरण में आए हुए को हमेशा पनाह देते हैं ।।
परदेशी कोई किसी का क्या उठा ले जाएगा ??
साहब, बदले में सैकड़ों दुआ दे कर जाएगा।।
मुश्किलों के इस दौर में इंसान-इंसान का सहारा है,
छोड़ दो तेरा-मेरा, अरे,सारा ही भारत हमारा है।।
गीता, बाईबल हो या क़ुरान सबकी बस एक ही जुबान,
धर्म से ना तोले कोई किसी को जहान हो एक समान।।
राजनीति की नहीं, अब अच्छी रणनीति की आस है,
मिलकर हरा देंगे इस महामारी को, ‘सत्या’ को इतना विश्वास है।।
Satya.shastri.Jind(HR.)