कोरोना दहशत
मिल न जाये कहीं
वो रास्ते मे
डर डर के आजकल
घर से निकलता हूं ।
छुपा हुआ है वो
न जाने किस भेष मे
हर शख्स को शक की
निगाहों से देखता हूं ।
ज्यादा किसी से मै
मिलता नही आजकल
दहशत के माहोल मे
नित छुपता फिरता हूं ।
करने नही देता वो
कोई काम मुझे
आजकल कैदी बन कर
घर मे ही रहता हूं ।।
राज विग 12.06.2021