कोरोना जैसी महामारी का संकट छाया
कोरोना जैसी महामारी का संकट है छाया, कोरोना का काल है आया।
जिसने हमें अच्छाई और बुराई दोनों का पाठ पढ़ाया।
अपने पराए होने का एहसास दिलाया।
फैला रहा हर तरफ बीमारी का साया कोरोना ने इस भयंकर बीमारी से भी लोगों को आपस में मिलजुल कर साथ खड़े होकर लड़ना सिखाया।
कोरोना का काल है आया।
कोरोना ही है जिसने सबको घरों में ही कैद कराया, हर रोज रंग बदलते रिश्तो के इस मौसम में
कोरोना ने ही परिवार में एक साथ रहने का बिगुल बजाया।
इस भाग-दौड़ की जिंदगी में अपनों के साथ समय बिताना सिखाया, उलझे रिश्तो को पास है लाया।
कोरोना ही है जिसने हमें प्रकृति से छेड़छाड़ का परिणाम दिखाया।
कोरोना जैसी महामारी का संकट छाया ,कोरोना का काल है आया।
कोरोना ही है जिसने एक तरफ रोजी रोटी को मोहताज कराया
दूसरी तरफ जिसने मेहनत की कमाई की रोटी की कीमत का एहसास दिलाया।
जिस पर वक्त नहीं था, उसे अपनों को वक्त देना सिखाया रोज-रोज की बीमारी से आजाद कराया।
कोरोना ने लोगों के चेहरे पर पड़े अपनेपन के नकाब को मुसीबत के समय उतार गिराया।
सच तो यह है कोरोना ने हमारी पुरानी संस्कृति को याद दिलाया हर किसी के चेहरे पर घुंघट की जगह मास्क लगाया।
जो भूल चुके थे साफ-सफाई उन्हें सैनिटाइजर का प्रयोग करना सिखाया
कोरोना जैसी महामारी का संकट छाया कोरोना का काल है आया।